श्री गणेश चतुर्थी व्रत कथा और पूजन विधि – Ganesh vrat katha
आज गणपति का जन्मदिन है. विघ्नहर्ता और मंगलमूर्ति श्रीगणेश का दिन.
आज से लेकर अगले द्स दिनों तक देश गणेश जी के रंग में डुबा रहेगा. आज गणेश चतुर्थी के दिन व्रत करने का बहुत महत्व है.
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturti ) के नाम से प्रसिद्ध है,इस प्रात:काल स्नानादि से निवृत होकर
सोना तांबा चांदी मिट्टी या गोबर से गणेश की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करनी चाहिये,
पूजने के समय इक्कीस मोदकों का भोग लगाते है,तथा हरित दूर्वा के इक्कीस अंकुर लेकर यह दस नाम लेकर चढाने चाहिये
– ऊँ गताप नम: ऊँ गोरीसुमन नम:, ऊँ अघनाशक नम:, ऊँ एक दन्ताय नम:,ऊँ ईश पुत्र नम:,ऊँ सर्वसिद्धिप्रद नम: ऊँ विनायक नम:,ऊँ कुमार गुरु नम:,ऊँ इम्भववक्त्राय नम:,ऊँ मूषकवाहन संत नम:,
तत्पश्चात इक्कीस लड्डुओं में दस लड्डू ब्राह्मणों को दान देना चाहिये,और ग्यारह लड्डू स्वयं खाने चाहिये.
एक बार महादेवजी पार्वती सहित नर्मदा के तट पर गए. वहाँ एक सुंदर स्थान पर पार्वतीजी ने महादेवजी के साथ चौपड़ खेलने की इच्छा व्यक्त की.
तब शिवजी ने कहा- हमारी हार-जीत का साक्षी कौन होगा?
पार्वती ने तत्काल वहाँ की घास के तिनके बटोरकर एक पुतला बनाया और उसमें प्राण-प्रतिष्ठा करके उससे कहा- बेटा! हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, किन्तु यहाँ हार-जीत का साक्षी कोई नहीं है.
अतः खेल के अन्त में तुम हमारी हार-जीत के साक्षी होकर बताना कि हममें से कौन जीता, कौन हारा?
खेल आरंभ हुआ. दैवयोग से तीनों बार पार्वतीजी ही जीतीं.
जब अंत में बालक से हार-जीत का निर्णय कराया गया तो उसने महादेवजी को विजयी बताया.
परिणामतः पार्वतीजी ने क्रुद्ध होकर उसे एक पाँव से लंगड़ा होने और वहाँ के कीचड़ में पड़ा रहकर दुःख भोगने का शाप दे दिया.
मैंने किसी कुटिलता या द्वेष के कारण ऐसा नहीं किया. मुझे क्षमा करें तथा शाप से मुक्ति का उपाय बताएँ.
तब ममतारूपी माँ को उस पर दया आ गई और वे बोलीं- यहाँ नाग-कन्याएँ गणेश-पूजन करने आएँगी.
उनके उपदेश से तुम गणेश व्रत करके मुझे प्राप्त करोगे. इतना कहकर वे कैलाश पर्वत चली गईं.
एक वर्ष बाद वहाँ श्रावण में नाग-कन्याएँ गणेश पूजन के लिए आईं.
नाग-कन्याओं ने गणेश व्रत करके उस बालक को भी व्रत की विधि बताई.
तत्पश्चात बालक ने 12 दिन तक श्रीगणेशजी का व्रत किया.
तब गणेशजी ने उसे दर्शन देकर कहा- मैं तुम्हारे व्रत से प्रसन्न हूँ. मनोवांछित वर माँगो.
बालक बोला- भगवन! मेरे पाँव में इतनी शक्ति दे दो कि मैं कैलाश पर्वत पर अपने माता-पिता के पास पहुँच सकूं और वे मुझ पर प्रसन्न हो जाएँ.
बालक भगवान शिव के चरणों में पहुँच गया. शिवजी ने उससे वहाँ तक पहुँचने के साधन के बारे में पूछा.
तब बालक ने सारी कथा शिवजी को सुना दी. उधर उसी दिन से अप्रसन्न होकर पार्वती शिवजी से भी विमुख हो गई थीं.
तदुपरांत भगवान शंकर ने भी बालक की तरह 21 दिन पर्यन्त श्रीगणेश का व्रत किया,
जिसके प्रभाव से पार्वती के मन में स्वयं महादेवजी से मिलने की इच्छा जाग्रत हुई.
वे शीघ्र ही कैलाश पर्वत पर आ पहुँची. वहाँ पहुँचकर पार्वतीजी ने शिवजी से पूछा- भगवन!
आपने ऐसा कौन-सा उपाय किया जिसके फलस्वरूप मैं आपके पास भागी-भागी आ गई हूँ.
शिवजी ने ‘गणेश व्रत’ का इतिहास उनसे कह दिया.
तब पार्वतीजी ने अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा से 21 दिन पर्यन्त 21-21 की संख्या में दूर्वा,
पुष्प तथा लड्डुओं से गणेशजी का पूजन किया.
21वें दिन कार्तिकेय स्वयं ही पार्वतीजी से आ मिले. उन्होंने भी माँ के मुख से इस व्रत का माहात्म्य सुनकर व्रत किया.
कार्तिकेय ने यही व्रत विश्वामित्रजी को बताया. विश्वामित्रजी ने व्रत करके गणेशजी से जन्म से मुक्त होकर ‘ब्रह्म-ऋषि’ होने का वर माँगा.
गणेशजी ने उनकी मनोकामना पूर्ण की. ऐसे हैं श्री गणेशजी, जो सबकी कामनाएँ पूर्ण करते हैं.
कच्चे पपीते के स्वास्थ्य लाभ(Crude papaya health benefits)
शेर और बूढी औरत - हिंदी कहानी - LION AND OLD WOMAN - HINDI STORY एक बार की बात है,…
नवरात्रि में हम दुर्गा माँ की पूजा आराधना करते है और विधिवत माँ का पूजन करते हैं। जिसके लिए श्री…
नवरात्रि में हम माता की पूजा आराधना करते है और विधिवत माँ का पूजन करते हैं। जिसके लिए श्री दुर्गा…
Maruti Suzuki Grand Vitara 2022 को सितंबर के आखिरी हफ्ते में लॉन्च किए जाने की खबर है। ग्रैंड विटारा को…
पेश है Maruti Suzuki Alto K10 इंडिया लॉन्च जैसा की आप सबको पता है की MARUTI ALTO K10 अब अपने…
Krishan Janmashtami birth of loard krishna, janmashtami wishes & photo , shayari , quotes, greetings ,जन्माष्टमी के बधाई संदेश और…